लेखनी प्रतियोगिता -14-Sep-2023 दिल शीशे का
दिल शीशे का
कुछ पाने के लिए खोना जरूरी है,
दिल शीशे का ही होना जरूरी है।
हँसने की एहमियत पता चलती है,
रंज-ओ-ग़म में इंसां का रोना जरूरी है।
एहद-ए-वफ़ा निभाने के लिए बशर,
ताउम्र के लिए किसी का होना जरूरी है।
खुरदरा सा है बर्ताव आदमी का अब,
रिश्तों को एहसासों से भिगोना जरूरी है।
माना टूट गई है ख़्वाबों की माला ,
उम्मीदों के मोती पिरोना जरूरी है।
फ़क़त महफ़िल से ऊब जाता है मन,
तनहाइयों में ख़ुद को डुबोना जरूरी है।
मन के शीशे पर दाग बन गए हैं गहरे,
प्यार की बारिश से इन्हें धोना जरूरी है।
दूसरों के दर्द पर हँसती है दुनिया प्रीति,
ग़मों को दिल में समोना जरूरी है।
प्रीति चौधरी "मनोरमा"
जनपद बुलन्दशहर
उत्तरप्रदेश
मौलिक एवं अप्रकाशित।
Abhinav ji
16-Sep-2023 07:37 AM
Very nice
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Varsha_Upadhyay
15-Sep-2023 04:17 PM
Nice 👍🏼
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
15-Sep-2023 06:48 AM
बेहतरीन अभिव्यक्ति
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